Mahashivratri Facts:- भारत त्योहारों का देश हैं उत्सवों का देश है और साथ ही साथ भक्ति का देश है। हिन्दू धर्म के सबसे अधिक फॉलोअर्स भारत में विराजित हैं और इन्ही के सबसे बड़े त्योहारों में एक त्योहार है आदिदेव शंकर अर्थात महादेव का पर्व Mahashivratri जिसे लोग बेहद भक्ति भाव से मनाते हैं।
दोस्तों यह पूरा आर्टिकल भगवान शिव देवों के देव महादेव के भक्तों को मेरी ओर से समर्पित हैं। इस पोस्ट में हम आपको Mahashivratri Facts के बारे में तो बताएंगे ही लेकिन सवालों के जवाब भी देंगे साथ ही साथ बताएंगे की महाशिवरात्रि की कथा क्या है।
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महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
दोस्तों ईश्वर के महोत्सव में हर वजह भक्ति भावना से मान्यता की आधार पर ही किया जाता है। यह हम सभी जानते हैं की ईश्वर को इंसानों ने नहीं बल्कि हम इंसानों को ईश्वर से बनाया है। महाशिवरात्रि का उत्सव भी ऐसी ही मान्यता पर आधारित है। माना जाता है की भगवान शिव इसी दिन ही सर्वप्रथम शिवलिंग के तौर पर उत्पन्न हुए थे। इसके अलावा एक अन्य मान्यता यह है की इसी दिन पवित्र जोड़ी शिव जी और पार्वती मां की संपन्न हुई थी।
महाशिवरात्रि की कथा
शिव जी यूं तो हर जगह हैं इंसानों के कण कण में बसे हैं। इसी तरह एक भारत का पौराणिक शहर हैं वाराणसी जहां पर शिव जी हर एक के मन में हैं। यहीं से Mahashivratri ki Katha शुरू होती है।
वाराणसी में एक गुरुद्रुह नामक भील रहता था। वह अपने परिवार का गुजर बसर जानवरों का शिकार करके ही करता था। ऐसे ही वह एक दिन शिकार करने के लिए वन में गया। यह दिन शिवरात्रि का था। उसे पूरा दिन और रात तक हो गई लेकिन उसे कोई भी जानवर शिकार करने को नहीं मिला।
उसे कुछ दूरी पर एक पानी से भरी झील दिखीं और उस झील के पास एक पेड़ भी दिखा। उसने सोचा की यहां झील में जो भी जानवर अपनी प्यास बुझाने आएगा उसका शिकार कर लेगा। वह अपने शिकार का इंतजार पेड़ पर चढ़कर करने लगा, पेड़ के ठीक नीचे शिवलिंग भी स्थापित थी।
वह पेड़ बेल का पेड़ था। गुरुद्रुह जैसे ही उस पेड़ पर चढ़ा उसने उस झील के पास एक हिरनी देखी, वह उसका शिकार करने के लिए तीर चलाने ही वाला था की उसके हिलने की वजह से पेड़ पर एक पत्ता शिवलिंग पर चढ़ गया। जिससे हिरनी स्तर्क हो गई।
हिरनी ने गुरुद्रुह से पूछा तुम क्या करना चाहते हो? गुरुद्रुह ने कहा मैं तुम्हारा शिकार करना चाहता हूं, हिरनी ने कहा मैं अपने बच्चों को अपनी बहन को सौंपना चाहती हूं उसके बाद वापस आ जाऊंगी तब तुम मुझे मार देना। गुरुद्रुह उसे जाने देता है।
उसके थोड़ी देर बाद एक अन्य हिरनी भी उसी जगह आती है इस बार भी गुरुद्रुह से शिवलिंग पर बेल पत्ते चढ़ जाते हैं और यह हिरनी भी वैसा ही कुछ कह कर चली जाती है। गुरुद्रुह उसे भी जाने देता है।
तीसरी बार झील के सामने कोई हिरण आता है इस बार भी गुरुद्रुह से शिवलिंग पर बेल पत्ते चढ़ जाते हैं। हिरण भी गुरुद्रुह से यह कहता है की वे अपने परिवार को आखिरी बार मिलकर आ रहा है। गुरुद्रुह उसे भी जाने देता है।
दो हिरनी और एक हिरण अपने वादे मुताबिक वापस उधर ही आ जाते हैं और इस बार भी बेल पत्ते शिवलिंग पर चौथी बार चढ़ जाते हैं। इससे शिवरात्रि का गुरुद्रुह से अचानक में ही व्रत रख लिया जाता है और उसके पाप तत्काल रूप से खत्म हो जातें हैं। वे तीनों हिरनों को मारने का विचार त्याग देता है। भगवान शिव गुरुद्रुह को मोक्ष प्रदान कर देते हैं।
Mahashivratri Facts in hindi
1. महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का प्रसिद्ध त्योहार है।
2. फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की त्र्योदेशी को हिंदी कैलेंडर के अनुसार इस त्योहार को मनाया जाता है।
3. इसी दिन शिवजी और पार्वती मां एक सूत्र में बंधे थे।
4. इस दिन शिव जी की भक्त सुबह से ही मंदिरों में पूजा करने में जुटे होते हैं।
5. जल, दूध से शिव जी को नहलाया जाता है, गंगाजल से भी नहलाया जाता है।
6. शिवलिंग पर चंदन लगाकर उनपर पुष्प, बेल के पत्ते अर्पित किए जाते हैं।
7. भगवान शिव को बेल पत्ते बेहद प्रिय होते हैं।
8. शाम को शिवजी की बारात निकाली जाती है।
9. महाशिवरात्रि की रात भी लोग जाग जाग कर शिव भक्ति में लीन रहते हैं।
10. इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं ताकि उनका काम पूरा करने में शिवजी उनका साथ दें।
धन्यवाद।