Powerful Black Sunday Storm:- क्यों Sunday का यह दिन बन गया काला

Black Sunday Storm अमेरिका में रविवार को आए भयंकर तूफान ने इसका नाम Black Sunday Storm रखने पर मजबूर कर दिया। यहां मैं बात हाल ही में बीते Sunday की नहीं कर रहा बल्कि साल 1935 में आए मिट्टी भरे तूफान की बात कर रहा हूं जो अमेरिका में आया ऐसा खतरनाक तूफान था जो कई लोगों की मौत का कारण बना। दोस्तों aslisatya वेबसाइट पर आपने अब तक कई ज्ञानवर्धक जानकारी पढ़ी होंगी ठीक ऐसे ही Sunday को छुट्टी क्यों होती है? इसका लेख भी पूरी जानकारी के साथ साझा किया हैं ठीक इस लेख में इसी रविवार से संबंधित Black Sunday Storm के बारे में जानेंगे। क्यों एक आम रविवार इस तूफान के बाद अमेरिका इतिहास में काला संडे कहलाया जाने लगा। 

 

Black Sunday Storm Kya hai?

 

Black Sunday Storm अमेरिका में अप्रैल 14, 1935 को आए एक धूल भरी आंधी को कहा जाता है। यूं तो धूल भरी आंधी आना रेगिस्तानी क्षेत्रों में आम बात है लेकिन अमेरिका में आए इस खतरनाक storm के भयावह रूप का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं की इस Black Sunday Storm से अमेरिका में एक दिन में ही 7000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चली थी। हालांकि यह डाटा सही है या नहीं इस पर संदेह हैं क्योंकि कई विशेषज्ञ मौत का आंकड़ा 7000 से भी अधिक बताते हैं। 

 

यह भी कहा जाता है की इस धूल भरे तूफान में मिट्टी जो की 100 माइल्स प्रति घंटे के तेज गति से चल रही थी उसको एक जगह रखा जाए तो मिट्टी का वजन 300000 टन होता। 

 

Black Sunday Storm आने का कारण

 

हर इंसान अपने आप में अलग है, वैसे आप सोच रहे होंगे कहां मैं इस आर्टिकल में अचानक से इंसानों के चरित्र के व्याख्यान को ले आया। दरअसल जैसे हर इंसान भिन्न भिन्न विशेषताओं के साथ जन्म लेता है ठीक गांव, शहर, राज्य, देश अपने साथ कई स्पेशल फीचर्स संजोए हुए हैं। अब आसान भाषा में कह जाया तो “जिसका काम उसी को सांझे दूसरा करें तो ठेंगा बाजे” अब इससे भी आसान भाषा में कहा जाए तो यह कहा जाएगा की हर व्यक्ति भिन्न भिन्न कार्य करने में महारत रखता है। लेकिन अगर वही कार्य कोई नौसिखिया करें तो विफलता मिलनी तय है। 

 

हर एक फसल को विकसित होने के लिए अलग तरह की जमीन और वातावरण एवं मौसम की जरूरत होती है। जैसे की सेब हिमाचल के प्रख्यात माने जाते हैं क्योंकि सेब की खेती के लिए हिमाचल में पर्याप्त वातावरण और जमीन हैं हालांकि आज के वक्त कई जगहों पर तकनीकी सहायता से सेब जमीनी इलाके में भी उगाए जा रहे हैं लेकिन पहले यह पॉसिबल नहीं हो पाता था। 

 

अमेरिका में मिट्टी को सहारा देने के लिए अर्थात अमेरिका को कृषि क्षेत्र में मजबूत करने के लिए वहां हर तरह की खेती करने की कोशिश की गई। वहां के किसान भेड़ पालने लगे जिनसे अमेरिका की प्राकृतिक घास कुछ सालों में विलुप्त होने की स्थिति में आ गई। किसान अपनी जमीन पर जरूरत से ज्यादा खेती करने लगे इससे हुआ यह कि मिट्टी की गुणवता कम होने लगी। साल 1930 में अमेरिका में सुखा पड़ा जिससे अमेरिका में बारिश, बर्फबारी और हवा में नमी की कमी ने अमेरिका के ज्यादातर कृषि क्षेत्रों में ऊपरी मिट्टी को सुखा दिया।

 

Black Sunday Storm का प्रभाव

 

जब भी किसी भी जगह आपदा आती है वह आपदा चाहे प्राकृतिक या अप्राकृतिक हो वे कई सालों के जख्म दे जाती है। Black Sunday Storm आने के बाद भी यही हुआ। कई लोगों की मृत्यु के साथ कइयों की मेहनत उस धूल भरी आंधी/तूफान में मिल गए। कई परिवार अपने बसे बसाए घरों को, अपने देश को छोड़ कहीं होर जगह रहने पर मजबूर हो गए। 

 

ऐसी आपदा आने के बाद बुरे प्रभाव के साथ कुछ अच्छे प्रभाव भी होते हैं। जैसे चोट लगने बाद या गलती करने के बाद आदमी संभल जाता है और बड़ी सावधानी से कार्य करता है ठीक उसी तरह देश पर भी जब कोई बड़ी आपदा आती है तो सरकार कुछ पॉलिसी निकालती है ताकि देश उस आपदा से निकल पाएं और आगे वह आपदा न आएं। 

 

अमेरिकी सरकार ने भी ठीक ऐसे ही इस आपदा के आने के बाद संसद में Soil Conservation Act पर मुहर लगा दी जिसके तहत Soil Conservation Service अब United States Department of Agriculture का परमानेंट एजेंसी बन गई। 

 

Soil Conservation Service (अब Natural Resources Conservation Service) का काम किसानों एवं प्राइवेट landowners को टेक्निकल एसिस्टेंस प्रदान करना है। इस सेवा दल का मुख्य काम जंगल को बचाना, नेचुरल रिसोर्सेस को बचाना था। 

 

अतः यही दिशा में आगे लेकर जाना चाहूंगा। हम इंसान यूं ही स्वयं को तसल्ली देने के लिए कह देते हैं की प्राकृतिक आपदा को आज तक कौन रोक पाया है। परंतु हम यह भूल जाते हैं प्राकृतिक आपदा के आने का कारण भी हम इंसान ही हैं जिन्होंने डेवलपमेंट को किसी अलग समझ के साथ समझा है। आज जहां देखो पेड़ काटे जा रहे हैं, जंगल विलुप्त होते जा रहे हैं। हालांकि यह बात न हम छुपाना चाहते हैं और आप भी पड़ते होंगे की कई NGO और कभी राजनीतिक दल environment Day पर लाखों पेड़ लगाने का प्रण लेते हैं लेकिन जिस गति से पेड़ कटे उतने तेजी से उगाए नहीं जाते। इसमें आम इंसान को भी बढ़ कर हिस्सा लेना होगा।

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